एक समय था जब सिविल, मेकेनिकल और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग जैसे पारंपरिक विषयों में ही बी.ई. की स्नातक डिग्री प्राप्त होती थी।
धीरे-धीरे विज्ञान और तकनीकी के विकास के साथ-साथ इलेक्ट्रानिक्स, सूचना प्रौद्योगिकी, अनेक संस्थानों में होने लगी है। रसायन धातुकर्म, कम्प्यूटर साइंस, इन्स्ट्रमेनटेशन जैसे नए विषय भी जुड़ने लगे।
अब इंजीनियरिंग में पोस्ट ग्रेजुएशन और पी.एच.डी. की पढ़ाई भी अनेक संस्थानों में होने लगी हैं।
स्नातक पाठ्यक्रम में प्रवेश
बैचलर ऑफ इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त करने के लिए देश के अनेक राज्यों में प्री इंजीनियरिंग टेस्ट ( PET ) की व्यवस्था है। कुछ अन्य राज्यों में बारहवीं पास करने के बाद इसमें सीधे प्रवेश मिल जाता है।
इंजीनियरिंग की स्नातक डिग्री अच्छे अंकों के साथ प्राप्त करने पर किसी भी संस्थान में कम से कम 18 हजार रूपये की तनख्वाह अवश्य मिल जाती है।
जिस विषय की मौजूदा समय में अधिक मांग होती है । उसमें यह तनख्वाह 25 से 40 हजार रूपये तक भी हो सकती है।
पोलिटेक्निक ( POLYTECHNIC )
की परीक्षा में पहले पालिटेक्निक संस्थानों को भी शामिल रखा गया था। लेकिन अब इसके लिए भी प्री पॉलीटेक्निक टेस्ट ( PPT ) अलग से आयोजित किया जाता है।
पॉलीटेक्निक में भी लगभग इंजीनियरिंग जैसे विषय होते हैं। हालांकि लेदर वर्क, इंटिरियर डेकोरेशन, न्यूट्रिशन, टेक्सटाईल और सिलाई-कढ़ाई के व्यावहारिक पाठ्यक्रम भी अब पॉलीटेक्निक संस्थानों में जुड़ गए हैं।
ऐसे विषय आमतौर पर महिला पॉलीटेक्निक संस्थानों में होते हैं। पॉलीटेक्निक डिप्लोमा प्राप्त करने वाला विद्यार्थी कम से कम 15,000 रू. की नौकरी अवश्य प्राप्त कर सकता है।
उच्च स्तरीय इंजीनियरिंग संस्थान
पहले इंजीनियरिंग की राष्ट्रीय स्तर पर होने वाली प्रवेश परीक्षा के आधार पर रीजनल इंजीनियरिंग कॉलेजों में प्रवेश मिलता था। अब इन संस्थानों को नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नालॉजी ( NIT ) का नाम दे दिया गया है।
NIT में राज्य के विद्यार्थियों के अलावा राष्ट्रीय स्तर की प्रवेश परीक्षा में सफल विद्यार्थियों के लिए भी सीटें आरक्षित होती है। राष्ट्रीय स्तर पर प्रवेश के लिए ऑल इंडिया इंजीनियरिंग एन्ट्रेन्स एक्जामिनेशन ( AIEEE ) आयोजित किया जाता है ।
AIEEE से पढ़ने वाले विद्यार्थियों को राष्ट्रीय स्तर पर बड़ी-बड़ी नौकरियों के प्रस्ताव आसानी से मिलते हैं जिनमें तनख्वाह भी 35 से 45 हजार रूपये होती है।
आई.आई.टी. ( IIT)
भारत में इंजीनियरिंग की सबसे प्रतिष्ठित संस्था के रूप में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान ( IIT ) का नाम लिया जाता है।
इस समय देश के केवल 6 शहरों (दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, रूढ़की, खड़गपुर व गुवाहाटी) में आई.आई.टी. स्थित है।
इन संस्थानों में प्रवेश के लिए ज्वाईंट एन्ट्रेन्स एक्जामिनेशन ( JEE ) का आयोजन किया जाता है। आई.आई.टी. से मिलने वाली स्नातक डिग्री बी-टेक ( B.Tech ) कहलाती है।
इन संस्थानों में पढ़ाई पूरी करने से पहले ही विद्यार्थियों को 80 हजार से 1 लाख रू. की तनख्वाह मिलती है।
खासतौर पर बहुराष्ट्रीय कंपनियों में आई.आई.टी. ग्रेजुएट को बहुत प्राथमिकता दी जाती है।
आई. आई. टी. ग्रेजुएट आगे चलकर वहीं से एम.टेक ( M.Tech ) भी कर सकते हैं। यह आई.आई.टी. में पढ़ाने के लिए आवश्यक डिग्री है।
आर्किटेक्चर ( Architecture )
देश के प्रायः सभी इंजीनियरिंग कॉलेजों में आर्किटेक्चर ( Architecture ) की पढ़ाई भी होती है । इस चार वर्षीय पाठ्यक्रम के बाद कोई भी आर्किटेक्ट सरकारी या निजी कार्य के अलावा अपना स्वयं का व्यवसाय चला सकता है।
इसके लिए नगर निगम से लाईसेंस प्राप्त करना होता है। आमतौर पर ड्राफ्समैन या पॉलीटेक्निक ( Polytechnic), आई. टी. आई. ( ITI ) संस्थानों से प्रशिक्षित विद्यार्थी 10 हजार की तनख्वाह से अपना कार्य शुरू करते हैं।
बाद में यह वेतन (आटोकैड कम्प्यूटर एडेड डिजाइन Auto CAD ) और अन्य योग्यताएं अर्जित कर लेने पर 10 और 15 हजार रू. तक भी बढ़ जाता है।
इंजीनियरिंग क्षेत्र के अन्य अवसर
इंजीनियरिंग की स्नातक डिग्री प्राप्त कर लेने के बाद किसी भी संस्थान में इंजीनियर बनना सबसे स्वाभाविक कैरियर होता है। लेकिन जिनके नंबर बहुत अच्छे होते हैं ।
वे यू.पी.एस.सी. ( UPSC ) द्वारा ली जाने वाली भारतीय इंजीनियरिंग सेवा या भारतीय सेना के शार्ट सर्विस कमिशन की परीक्षा देकर तीनों सेनाओं में आवश्यकतानुसार अपनी सेवा दे सकते हैं।
दूरसंचार विभाग, दूरदर्शन, आकाशवाणी, रेल्वे सहित विभिन्न सार्वजनिक प्रतिष्ठानों में इंजीनियरिंग के सफल विद्यार्थी भारतीय इंजीनियरिंग सेवा के जरिए चुने जाते हैं।
अभियंता एक ऐसा व्यक्ति होता है जो विज्ञान, गणित, तकनीक आदि जैसे क्षेत्रों में विशेषज्ञ होता है। वह विभिन्न प्रौद्योगिकी उत्पादों, निर्माण प्रक्रियाओं, संरचनाओं आदि के विकास एवं उनकी अधिगमता की जांच करता है। वह इन विषयों में शिक्षा प्राप्त करता है और फिर व्यावसायिक रूप से काम करता है।
अभियंता बनने के लिए व्यक्ति को एक इंजीनियरिंग डिग्री होना आवश्यक होता है। यह डिग्री विभिन्न विश्वविद्यालयों और कॉलेजों से उपलब्ध होती है। इसके अलावा, अभियंता बनने के लिए व्यक्ति को विभिन्न बिषयों जैसे गणित, भौतिकी, रसायन विज्ञान, इलेक्ट्रॉनिक्स आदि में दक्षता होनी चाहिए।
इंजीनियर बनने के लिए निम्नलिखित कदम अनुसरण किए जा सकते हैं:
10+2 पास होना: इंजीनियरिंग में प्रवेश के लिए, आपको सही विषय के साथ 10+2 पास करना होगा।
प्रवेश परीक्षा: भारत में, इंजीनियरिंग के प्रवेश के लिए आईईटी जेईई, जेईई मेन्स, बीएचयू एंट्रेंस एग्जाम जैसी प्रवेश परीक्षाएं होती हैं।
कॉलेज में प्रवेश: प्रवेश परीक्षा पास करने के बाद, आपको अधिकतम अंक प्राप्त करने वाले कॉलेजों में अपना आवेदन पत्र भेजना होगा।
डिग्री प्राप्त करना: कॉलेज में प्रवेश के बाद, आपको अपनी इंजीनियरिंग डिग्री प्राप्त करने के लिए चार साल का कोर्स पूरा करना होगा।
उच्च शिक्षा: उच्च शिक्षा करने से आप अपने कैरियर के लिए अधिक विशेषज्ञता प्राप्त कर सकते हैं। आप पीएचडी या डॉक्टरेट की डिग्री भी प्राप्त कर सकते हैं।
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