वकालत के पेशे में है असीम संभावनाएं ! There are immense possibilities in the legal profession.

वकालत का पेशा, एक ऐसा पेशा है जिसमें आर्थिक और सामाजिक प्रतिष्ठा एक साथ प्राप्त होती है। भारत की आजादी के संघर्ष में जिन नेताओं ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। उनमें से अधिकांश वकालत पेशे से जुड़े हुए थे। 

उन दिनों भारत के सभी प्रतिष्ठित परिवार अपने बच्चों को वकील ही बनाना चाहते थे। इसके इच्छुक विद्यार्थियों को लंदन जाना पड़ता था, जहांकानून की पढ़ाई करने के बाद उन्हें बार एट लॉ की उपाधि दी जाती थी। 

पढ़ाई पूरी करने के बाद वकालत करने वालों को बैरिस्टर कहा जाता था। पं. मोतीलाल नेहरू, जवाहरलाल नेहरू और महात्मा गांधी जैसे अनेक भारतीय नेता लंदन से ही बैरिस्टर की पढ़ाई करके लौटे थे।

वकालत की शिक्षा

वकालत की स्नातक शिक्षा को बैचलर ऑफ लेजिस्लेटिव लॉ कहा जाता था। इसमें प्रवेश के लिए किसी भी विषय में स्नातक होना चाहिए। पारंपरिक स्तर का पाठ्यक्रम 3 वर्ष का होता है। 

कुछ कॉलेजों में यह रात्रिकालीन पाठ्यक्रम के रूप में भी संचालित होता है। बारहवीं के बाद पांच साल का इंटिग्रेटेड कोर्स भी कराया जाता है। इसमें मिलने वाली डिग्री बी.ए., एल.एल.बी. के समकक्ष माना जाता है।

श्रम कानून में विशेषज्ञता

श्रम कानून में विशेषज्ञता प्राप्त करने के लिए IGNOU सहित कुछ संस्थाओं में बैचलर ऑफ लेबर लॉ का पाठ्यक्रम शामिल होता है।

बीजीएल ( BGL )

बैचलर ऑफ जनरल लॉ इस पाठ्यक्रम को करने के बाद छात्र किसी भी विधि महाविद्यालय में पढ़ाने की योग्यता हासिल करता है किन्तु कोर्ट में प्रैक्टिस नहीं कर सकता।

न्यायाधीश का कार्य

वकालत की स्नातक शिक्षा प्राप्त करने के बाद कोई विद्यार्थी अगर वकालत न करना चाहे तो वह न्यायाधीश (जज) बनकर भी और अधिक प्रतिष्ठा कर सकता है। 

चूंकि न्यायाधीश का पद सरकारी नौकरी की तरह होता है जबकि वकालत एक स्वतंत्र पेशा है, इसलिए बहुत से विधि स्नातक जज बनने के लिए विशेष तैयारी करते हैं।

इसके लिए व्यवहार न्यायाधीश (सिविल जज) की परीक्षा राज्य लोकसेवा आयोग द्वारा हर साल ली जाती है। इसकी सूचना सभी प्रमुख समाचार पत्रों में प्रकाशित होती है।

सिविल जज की परीक्षा के बाद साक्षात्कार के बाद चयन सूची जारी की जाती है। आजकल सिविल जज की परीक्षा के लिए बहुत से विशेष अपनी कोचिंग संस्थाएंभी संचालित करते हैं।

सिविल जज के रूप में चुने गए उम्मीदवार की तनख्वाह लगभग 25000 रू. होती है। योग्यता व अनुभव के अनुसार सिविल जज का प्रमोशन हाई कोर्ट व सुप्रीम कोर्ट के जज तक हो सकता है।

वकालत में अवसर

आज भी भारत में वकालत एक सम्मानजनक कैरियर समझा जाता है। चूंकि भारत की अधिकांश आबादी गांवों में रहती है और उसे कानून कायदों के बारे में बहुत अधिक जानकारी नहीं होती, इसलिए उन्हें वकीलों की हर कदम पर आवश्यकता रहती है।

इसी तरह शहरों में भी बढ़ती जागरूकता के कारण लोग अपने अधिकारों के प्रति बहुत सजग हो गए हैं और जब कभी भी उनके स्वास्थ्य शिक्षा, रोजगार संपत्ति या उपभोक्ता अधिकारों का हनन होता है तो वे तुरंत वकील की मदद से संबंधित संस्था को नोटिस भेज देते हैं ।

इससे यह पता चलता है कि समाज में जैसे-जैसे जागरूकता बढ़ रही है, वैसे-वैसे वकीलों की आवश्यकता व भूमिका भी बढ़ रही है। इसके अलावा हजारों की संख्या में खुलने वाली कंपनियों में भी स्थायी रूप से कानूनी सलाहकार और विधि अधिकारी के पद बनाये जाने लगे हैं।

वकील बनने के लिए निम्नलिखित कदम अपनाएं:


उच्च शिक्षा: 

वकील बनने के लिए, आपको लॉ डिग्री प्राप्त करनी होगी। आपको किसी भी भारतीय विश्वविद्यालय या कॉलेज से बैचलर ऑफ लॉ (LLB) डिग्री हासिल करनी होगी। आप इस डिग्री के बाद एक वर्ष के पोस्ट ग्रेजुएशन कोर्स (LLM) भी कर सकते हैं।


अनुभव प्राप्त करें: 

वकील बनने के लिए, आपको अनुभव और अध्ययन के समान ध्यान देने की आवश्यकता होगी। अनुभव प्राप्त करने के लिए, आप अधिक से अधिक मुकदमों में काम करने का प्रयास करें।


बार काउंसिल रजिस्ट्रेशन: 

वकील बनने के लिए, आपको अपने राज्य या केंद्र वाले बार काउंसिल में रजिस्टर करना होगा। इसके बाद आप अपने राज्य या केंद्र में वकालत कर सकते हैं।


अपने क्षेत्र में स्पेशलाइजेशन का चयन करें: 

आप अपने क्षेत्र में स्पेशलाइजेशन के आधार पर अपने वकालत की गतिविधियों को बढ़ा सकते हैं।



वकील एक व्यक्ति होता है जो अपने ग्राहकों के लिए कानूनी सलाह देता है और उनके हितों की रक्षा करता है। वह विभिन्न क्षेत्रों में काम करते हुए उनके कानूनी मुद्दों को सुलझाने के लिए जुटता है।



वकील बनने के लिए उच्च शिक्षा और अध्ययन की आवश्यकता होती है। उन्हें अनेक जानकारियों की आवश्यकता होती है जैसे कि विशेषता, शासन और सामान्य विधि और विभिन्न विधिक क्षेत्रों की जानकारी आदि। वे अपने ग्राहकों के हितों की रक्षा करते हुए कानूनी प्रक्रियाओं को समझते हैं और उन्हें सलाह देते हैं।



वकीलों को न्यायपालिका के साथ गहरा संबंध होता है। वे न्यायालयों, ट्राइब्यूनल और अन्य कानूनी संस्थाओं में काम करते हुए अपने मामलों की सुनवाई करते हैं। वे अपने मुद्दों के लिए अपील दायर कर सकते हैं और आपत्तियों को सुलझा सकते हैं।


कानून के दायरे में विविधता के कारण, वकील बनने के लिए विभिन्न क्षेत्रों में विशेषज्ञता होनी चाहिए। उदाहरण के लिए, कोर्पोरेट वकीलों को व्यापक विज्ञान और तकनीकी जानकारी की आवश्यकता होती है, जबकि फैमिली लॉ या समाज कल्याण वकीलों को सामाजिक मामलों, वसीयत या संपत्ति विवादों के बारे में जानकारी होनी चाहिए।


वकील बनने के लिए एक बड़ा प्रभावशाली नेटवर्क बनाने की आवश्यकता होती है। वे न्यायालय में और अन्य कानूनी संस्थाओं में काम करते हुए स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर पर नेटवर्किंग करते हुए ग्राहकों को प्राप्त करते हैं।


वकीलों का काम बहुत जटिल होता है और अधिक अनुभव के साथ वे अधिक निपुण होते हैं। इसलिए, शुरुआती स्तर पर वे सीनियर वकीलों के साथ काम करके उनसे सीख सकते हैं और अपने नौकरी में अधिक सफलता प्राप्त कर सकते हैं।

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                 पहले अपराधी वे हैं, जो अपराध करते हैं,
                      दूसरे वे हैं जो अपराध होने देते हैं।

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