इन दिनों चिकित्सा के क्षेत्र में फिजियोथेरेपी एक वरदान के रूप में सामने आई है दिनों दिन बढ़ रही तंत्रकीय और अन्य शरीरिक समस्याओं के करण फिजियोथेरेपिस्ट की मांग तेजी से बड़ी है फिजियोथेरेपिस्ट जोड़ों के दर्द जन्म से और बाद में बनी शारिरिक विकलांगता शरीरिक छय कमजोरी या लकवा फैक्चर छाति हृदय त्वचा रोग के साथ-साथ स्त्री रोग का इलाज करते हैं
विशेष व्यायाम और थेरेपी से हृदय रोग और दिमागी बीमारीयां स्पॉन्डिलाइटिस को ठीक करने में मदद करता है जिसमें इनकी मांग फिजिकली हैंडीकैप्ड मेडिकल केंद्र आईसीयू अस्थि विभाग न्यूरोलॉजी स्पोर्ट्स इंस्टीट्यूट पीडियाट्रिक्स से रहती है ऐसे में यह क्षेत्र काफी संभावनाओ भरा हैं भारत के अलावा बाहरी देशों में जैसे ऑस्ट्रेलिया फ्रांस कनाडा जापान इंग्लैंड यूएसए इत्यादी में इसकी बहुत अधिक मांग है फिल्हाल भारत में करीब 100 संस्थान है जो इसका प्रशिक्षण देते हैं

नये क्षेत्र -
अधिकतर यही माना जाता है कि बॉयलॉजी की पढ़ाई कर कुछ छात्र ही डाक्टर बन पाते हैं, कुछ वर्ष पहले तक यह धारणा सही थी क्योंकि स्थान की कमी व अत्यधिक फीस के कारण सभी विद्यार्थियों को यह अवसर प्राप्त नहीं हो पाता था, लेकिन आज चिकित्सा का क्षेत्र इतना व्यापक हो गया है कि अब अनेक पाठयक्रमों से किसी एक में प्रवेश लेकर विद्यार्थी अपना स्वर्णिम भविष्य बना सकते हैं। उनमें से एक पाठयक्रम है फिजियोथैरापी । इस पाठ्यक्रम को पूर्ण कर विद्यार्थी अपना डाक्टर बनने का सपना पूर्ण कर सकते हैं।
इस विशेष क्षेत्र का चयन कर छात्र-छात्रायें अपनी क्षमता सिद्ध कर एवं ज्ञान हासिल कर दक्ष हो जाते हैं। तब इन्हें अस्पतालों, क्लिनिकों, नर्सिंग होम या प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में आसानी से नौकरी मिल जाती है। अथवा वे स्वयं का क्लिनिक आरंभ कर सकते हैं। समाज में विकास के साथ काम करने का ढंग बदला, जीने का अंदाज बदल गया, नौकरियों में शारीरिक श्रम की जगह बौद्धिक क्षमता का इस्तेमाल होने लगा।
आज के जमाने में अच्छी तनख्वाह पाने के लिये शारीरिक श्रम की नहीं बल्कि बौद्धिक संपदा की आवश्यकता होती है। मनुष्य के कार्य करने की शैली तो. बदल गई परंतु तेज रफ्तार वाली जिंदगी में कई तनावों का जन्म हुआ। अत्यधिक मानसिक दबाव के कारण हम पर कई बीमारियों ने आक्रमण किया है। बार-बार डाक्टर की दवाई लेने के बाद भी आराम नहीं मिलता दवाईयाँ बेअसर हो जाती हैं।
तब हमारे सामने एक ही विकल्प बचता है, वह है फिजियोथैरापिस्ट से सलाह लेने का। क्योंकि फिजियोथेरेपी एक ऐसी घेरेपी है जो कम समय में छोटे-मोटे व्यायामों के जरिये रोगी को रोगमुक्त कर सकती है। भागदौड़ भरी जिंदगी जी रहे लोगों के सामने दवा और इंजेक्शन के अलावा व्यायाम के जरिये होने वाले उपचार का यह तरीका वरदान साबित हुआ है।
बढ़ती माँग -
पिछले कुछ वर्षों में फिजियोथेरापिस्ट की माँग बढ़ी है और फिजियोथेरेपी का कोर्स कैरियर निर्माण के लिए अच्छा क्षेत्र है। भारत में प्रति 10 हजार व्यक्तियों के लिये कम से कम एक लाख फिजियोथेरापिस्ट की जरूरत है। इसलिये इस क्षेत्र में रोजगार की अनंत संभावनाएँ हैं। भारत के अलावा विकसित देशों में फिजियोथेरापिस्ट की माँग अधिक है।
अमेरिका, कनाडा, आस्ट्रेलिया और इंग्लैंड में फिजियोथेरापिस्ट की अत्यधिक माँग है क्योंकि वहाँ के व्यस्त जीवन में मानसिक परेशानियाँ ज्यादा हैं और वे लोग इस थैरापी को आत्मसात कर चुके हैं। अतः आप विदेश में अपना भविय संवारने के इच्छुक हैंतो आपके लिए वहाँ भी इस क्षेत्र में नौकरी की संभावनाएँ हैं। असल में इन देशों में मेडिकल के साथ-साथ पैरामेडिकल प्रोफेशनल की भी काफी मांग बनी रहती है।
फिजियोथेरापी क्या है ?
फिजियोथेरापी वह चिकित्सा प्रणाली है जिसमें शिथिल व बेजान हो चुके अंगों को सक्रिय कर रोगियों को स्वस्थ्य बनाया जाता है। जिसमें कमजोर मांसपेशियों, आर्थराईटिस, लकवा, पोलियो, शारीरिक विकलांग, मानसिक विकलांग मरीजों का उपचार करते हैं।
फिजियोथैरापिस्ट अत्याधुनिक उपकरणों से व्यायाम के अलावा हीटथेरापी, शार्ट वेव डायथरमी, अल्ट्रासाऊंड, इंटरफेरेन्शियल थैरापी, मसल्स स्टयूमीलेटर जैसे उपकरणों का उपयोग करते हैं जिससे इनकी माँग विकलांग चिकित्सा केन्द्र, आई.सी.यू. अस्थिविभाग, न्यूरोलाजी, स्पोर्टस इंस्टीट्यूट पिडियाट्रिक्स इंस्टीटयूट में अधिक रहती है।
फिजियोथेरापिस्ट के कार्य -
फिजियोथेरापी पैरामेडिकल साइंस की एक नई विधा है, जिसमें की कंकालों और शरीर के अन्य तंत्रों को संचालित किया जाता है। इसमें दवाई या किसी भी उपरकरण की जरूरत नहीं पड़ती। बल्कि गर्म सर्द आवास, पानी या बिजली से मसाज और व्यायाम से इलाज किया जाता है।
एक तरह से देखा जाये तो फिजियोथेरापिस्ट जोड़ों के दर्द, जन्म से और बाद में बनी शारीरिक विकलांगता शारीरिक क्षय, कमजोरी या लकवा, फ्रेक्चर, छाती, हृदय, त्वचा के रोगों का इलाज भी है। इसका विशेष व्यायाम हृदय रोग और दिमाग बीमारियों, स्पांडलाइटिव को ठीक करने में मदद करता है।
पाठ्यक्रम विवरण
बैचरल और फिजियोथेरापी चार वर्ष का पाठ्यक्रम इसके अंतर्गत प्रथम वर्ष में एनाटमी, फिजियोलॉजी, माइक्रोबायलॉजी, बायोकेमेस्ट्री, समाज शास्त्र का अध्ययन तथा द्वितीय वर्ष में मेडिसिन, पैथालाजी, सर्जरी, पिडियाट्रिक्स, जनरल सर्जरी, गाइनिकोलाजी, कार्डियोरेस्पीरेटरी, इलेक्ट्रोथेरापी, पैथालॉजी, सर्जरी, फिजियोथैरापी सामुदायिक मेडिसिन का अध्ययन होता है
तृतीय तथा चतुर्थ वर्ष में फिजियोथैरापी रिहैबिलिटेशन में विस्तृत अध्ययन किया जाता है।
इंटर्नशिप -
4 वर्ष के प्रशिक्षण के उपरांत विद्यार्थियों को कम से कम 6 माह का किसी मान्यता प्राप्त हास्पिटल में इंटर्नशिप करना पड़ता है।
किसी भी विद्यार्थी को इंटर्नशिप के बिना डिग्री नहीं दी जा सकती। विद्यार्थियों को इंटर्नशिप करने से पहले सैद्धांतिक पढ़ाई में शामिल सभी विषयों में उत्तीर्ण होना अनिवार्य है।
रोजगार संभावनाएँ -
वर्तमान में बदलती जीवन शैली के कारण भारत में भी माँग बढ़ रही है। अतः रोजगार की गारंटी वाले इस विकासशील क्षेत्र में आप अपना भविष्य संवार सकते हैं। फिजियोथेरापी डाक्टर विभिन्न रोगों जैसे पोलियो, स्लिप डिस्क, पीठ का दर्द अर्थराइटिस, फ्रैक्चर, जोड़ का रिप्लेसमेंट इत्यादि का इलाज करते हैं।
फिजियोथेरापी डाक्टरों की बाहर देशों जैसे आस्ट्रेलिया, फ्रांस, कनाडा, जापान, इंग्लैंड, यू. एस. ए. इत्यादि में बहुत अधिक माँग है। इसके अलावा फिजियोथैरापिस्ट विभिन्न उपकरण जैसे ट्रायसिकल, श्रवण यंत्र, ब्लाइंड स्टिक्स, कैलीपर्स, विभिन्न प्रकार के बेसबाल, जयपुर पैर जूते इत्यादि का उत्पादन अपने कारखानों में कर सकते हैं जिसके लिये प्रशिक्षार्थी बैंक से ऋण भी प्राप्त कर सकते हैं।
केन्द्र राज्य और नगर निगम के साथ कई प्राइवेट अस्पताल हैं, जहाँ फिजियोथैरापिस्ट की जरूरत है। आप सरकारी अस्पतालों 8 से 10 हजार रूपये और प्राइवेट प्रैक्टिस से 40,000 रूपये महीने भी कमा सकते हैं।
संस्थाओं में उपलब्ध उपकरण संस्था में आधुनिक उपकरणों जैसे शार्ट वेव डायथम, अल्ट्रासाऊंड, इंटरफेरेशियल थेरेपी, मसल्स स्टीमुलेटर, विब्टरोस्टीन, माइक्रोस्टीम जीनियस, एक्लेसर आटो टेक, सोल्जर, व्हील चेयर, रोविंग मशीन, इलेक्ट्रो एक्यूंपचर यूनिट इत्यादि उपकरण रखे जाते हैं।
इसके अलावा पैरलल बार, ट्रैक्सन, हाईड्रोकोरेलल, वैक्स बाथ भी रखे जाते हैं ताकि विद्यार्थियों को विभिन्न प्रकार के रोगियों के लिए व्यावहारिक जानकारी प्राप्त हो सके।
प्रवेश हेतु योग्यता -
इस पाठ्यक्रम में प्रवेश हेतु न्यूनतम 12 वीं या समकक्ष उत्तीर्ण होना चाहिए। रसायन व बायोलाजी विषय सहित न्यूनतम 50 प्रतिशत अंक प्राप्त करना आवश्यक है। अनुसूचित जाति, जनजाति, विकलांग एवंपिछड़ा वर्ग के विद्यार्थियों को अंक में 5 प्रतिशत छूट प्रदान की जाती है।
विशेष व्यायाम और थेरेपी से हृदय रोग और दिमागी बीमारीयां स्पॉन्डिलाइटिस को ठीक करने में मदद करता है जिसमें इनकी मांग फिजिकली हैंडीकैप्ड मेडिकल केंद्र आईसीयू अस्थि विभाग न्यूरोलॉजी स्पोर्ट्स इंस्टीट्यूट पीडियाट्रिक्स से रहती है ऐसे में यह क्षेत्र काफी संभावनाओ भरा हैं भारत के अलावा बाहरी देशों में जैसे ऑस्ट्रेलिया फ्रांस कनाडा जापान इंग्लैंड यूएसए इत्यादी में इसकी बहुत अधिक मांग है फिल्हाल भारत में करीब 100 संस्थान है जो इसका प्रशिक्षण देते हैं

नये क्षेत्र -
अधिकतर यही माना जाता है कि बॉयलॉजी की पढ़ाई कर कुछ छात्र ही डाक्टर बन पाते हैं, कुछ वर्ष पहले तक यह धारणा सही थी क्योंकि स्थान की कमी व अत्यधिक फीस के कारण सभी विद्यार्थियों को यह अवसर प्राप्त नहीं हो पाता था, लेकिन आज चिकित्सा का क्षेत्र इतना व्यापक हो गया है कि अब अनेक पाठयक्रमों से किसी एक में प्रवेश लेकर विद्यार्थी अपना स्वर्णिम भविष्य बना सकते हैं। उनमें से एक पाठयक्रम है फिजियोथैरापी । इस पाठ्यक्रम को पूर्ण कर विद्यार्थी अपना डाक्टर बनने का सपना पूर्ण कर सकते हैं।
इस विशेष क्षेत्र का चयन कर छात्र-छात्रायें अपनी क्षमता सिद्ध कर एवं ज्ञान हासिल कर दक्ष हो जाते हैं। तब इन्हें अस्पतालों, क्लिनिकों, नर्सिंग होम या प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में आसानी से नौकरी मिल जाती है। अथवा वे स्वयं का क्लिनिक आरंभ कर सकते हैं। समाज में विकास के साथ काम करने का ढंग बदला, जीने का अंदाज बदल गया, नौकरियों में शारीरिक श्रम की जगह बौद्धिक क्षमता का इस्तेमाल होने लगा।
आज के जमाने में अच्छी तनख्वाह पाने के लिये शारीरिक श्रम की नहीं बल्कि बौद्धिक संपदा की आवश्यकता होती है। मनुष्य के कार्य करने की शैली तो. बदल गई परंतु तेज रफ्तार वाली जिंदगी में कई तनावों का जन्म हुआ। अत्यधिक मानसिक दबाव के कारण हम पर कई बीमारियों ने आक्रमण किया है। बार-बार डाक्टर की दवाई लेने के बाद भी आराम नहीं मिलता दवाईयाँ बेअसर हो जाती हैं।
तब हमारे सामने एक ही विकल्प बचता है, वह है फिजियोथैरापिस्ट से सलाह लेने का। क्योंकि फिजियोथेरेपी एक ऐसी घेरेपी है जो कम समय में छोटे-मोटे व्यायामों के जरिये रोगी को रोगमुक्त कर सकती है। भागदौड़ भरी जिंदगी जी रहे लोगों के सामने दवा और इंजेक्शन के अलावा व्यायाम के जरिये होने वाले उपचार का यह तरीका वरदान साबित हुआ है।
बढ़ती माँग -
पिछले कुछ वर्षों में फिजियोथेरापिस्ट की माँग बढ़ी है और फिजियोथेरेपी का कोर्स कैरियर निर्माण के लिए अच्छा क्षेत्र है। भारत में प्रति 10 हजार व्यक्तियों के लिये कम से कम एक लाख फिजियोथेरापिस्ट की जरूरत है। इसलिये इस क्षेत्र में रोजगार की अनंत संभावनाएँ हैं। भारत के अलावा विकसित देशों में फिजियोथेरापिस्ट की माँग अधिक है।
अमेरिका, कनाडा, आस्ट्रेलिया और इंग्लैंड में फिजियोथेरापिस्ट की अत्यधिक माँग है क्योंकि वहाँ के व्यस्त जीवन में मानसिक परेशानियाँ ज्यादा हैं और वे लोग इस थैरापी को आत्मसात कर चुके हैं। अतः आप विदेश में अपना भविय संवारने के इच्छुक हैंतो आपके लिए वहाँ भी इस क्षेत्र में नौकरी की संभावनाएँ हैं। असल में इन देशों में मेडिकल के साथ-साथ पैरामेडिकल प्रोफेशनल की भी काफी मांग बनी रहती है।
फिजियोथेरापी क्या है ?
फिजियोथेरापी वह चिकित्सा प्रणाली है जिसमें शिथिल व बेजान हो चुके अंगों को सक्रिय कर रोगियों को स्वस्थ्य बनाया जाता है। जिसमें कमजोर मांसपेशियों, आर्थराईटिस, लकवा, पोलियो, शारीरिक विकलांग, मानसिक विकलांग मरीजों का उपचार करते हैं।
फिजियोथैरापिस्ट अत्याधुनिक उपकरणों से व्यायाम के अलावा हीटथेरापी, शार्ट वेव डायथरमी, अल्ट्रासाऊंड, इंटरफेरेन्शियल थैरापी, मसल्स स्टयूमीलेटर जैसे उपकरणों का उपयोग करते हैं जिससे इनकी माँग विकलांग चिकित्सा केन्द्र, आई.सी.यू. अस्थिविभाग, न्यूरोलाजी, स्पोर्टस इंस्टीट्यूट पिडियाट्रिक्स इंस्टीटयूट में अधिक रहती है।
फिजियोथेरापिस्ट के कार्य -
फिजियोथेरापी पैरामेडिकल साइंस की एक नई विधा है, जिसमें की कंकालों और शरीर के अन्य तंत्रों को संचालित किया जाता है। इसमें दवाई या किसी भी उपरकरण की जरूरत नहीं पड़ती। बल्कि गर्म सर्द आवास, पानी या बिजली से मसाज और व्यायाम से इलाज किया जाता है।
एक तरह से देखा जाये तो फिजियोथेरापिस्ट जोड़ों के दर्द, जन्म से और बाद में बनी शारीरिक विकलांगता शारीरिक क्षय, कमजोरी या लकवा, फ्रेक्चर, छाती, हृदय, त्वचा के रोगों का इलाज भी है। इसका विशेष व्यायाम हृदय रोग और दिमाग बीमारियों, स्पांडलाइटिव को ठीक करने में मदद करता है।
पाठ्यक्रम विवरण
बैचरल और फिजियोथेरापी चार वर्ष का पाठ्यक्रम इसके अंतर्गत प्रथम वर्ष में एनाटमी, फिजियोलॉजी, माइक्रोबायलॉजी, बायोकेमेस्ट्री, समाज शास्त्र का अध्ययन तथा द्वितीय वर्ष में मेडिसिन, पैथालाजी, सर्जरी, पिडियाट्रिक्स, जनरल सर्जरी, गाइनिकोलाजी, कार्डियोरेस्पीरेटरी, इलेक्ट्रोथेरापी, पैथालॉजी, सर्जरी, फिजियोथैरापी सामुदायिक मेडिसिन का अध्ययन होता है
तृतीय तथा चतुर्थ वर्ष में फिजियोथैरापी रिहैबिलिटेशन में विस्तृत अध्ययन किया जाता है।
इंटर्नशिप -
4 वर्ष के प्रशिक्षण के उपरांत विद्यार्थियों को कम से कम 6 माह का किसी मान्यता प्राप्त हास्पिटल में इंटर्नशिप करना पड़ता है।
किसी भी विद्यार्थी को इंटर्नशिप के बिना डिग्री नहीं दी जा सकती। विद्यार्थियों को इंटर्नशिप करने से पहले सैद्धांतिक पढ़ाई में शामिल सभी विषयों में उत्तीर्ण होना अनिवार्य है।
रोजगार संभावनाएँ -
वर्तमान में बदलती जीवन शैली के कारण भारत में भी माँग बढ़ रही है। अतः रोजगार की गारंटी वाले इस विकासशील क्षेत्र में आप अपना भविष्य संवार सकते हैं। फिजियोथेरापी डाक्टर विभिन्न रोगों जैसे पोलियो, स्लिप डिस्क, पीठ का दर्द अर्थराइटिस, फ्रैक्चर, जोड़ का रिप्लेसमेंट इत्यादि का इलाज करते हैं।
फिजियोथेरापी डाक्टरों की बाहर देशों जैसे आस्ट्रेलिया, फ्रांस, कनाडा, जापान, इंग्लैंड, यू. एस. ए. इत्यादि में बहुत अधिक माँग है। इसके अलावा फिजियोथैरापिस्ट विभिन्न उपकरण जैसे ट्रायसिकल, श्रवण यंत्र, ब्लाइंड स्टिक्स, कैलीपर्स, विभिन्न प्रकार के बेसबाल, जयपुर पैर जूते इत्यादि का उत्पादन अपने कारखानों में कर सकते हैं जिसके लिये प्रशिक्षार्थी बैंक से ऋण भी प्राप्त कर सकते हैं।
केन्द्र राज्य और नगर निगम के साथ कई प्राइवेट अस्पताल हैं, जहाँ फिजियोथैरापिस्ट की जरूरत है। आप सरकारी अस्पतालों 8 से 10 हजार रूपये और प्राइवेट प्रैक्टिस से 40,000 रूपये महीने भी कमा सकते हैं।
संस्थाओं में उपलब्ध उपकरण संस्था में आधुनिक उपकरणों जैसे शार्ट वेव डायथम, अल्ट्रासाऊंड, इंटरफेरेशियल थेरेपी, मसल्स स्टीमुलेटर, विब्टरोस्टीन, माइक्रोस्टीम जीनियस, एक्लेसर आटो टेक, सोल्जर, व्हील चेयर, रोविंग मशीन, इलेक्ट्रो एक्यूंपचर यूनिट इत्यादि उपकरण रखे जाते हैं।
इसके अलावा पैरलल बार, ट्रैक्सन, हाईड्रोकोरेलल, वैक्स बाथ भी रखे जाते हैं ताकि विद्यार्थियों को विभिन्न प्रकार के रोगियों के लिए व्यावहारिक जानकारी प्राप्त हो सके।
प्रवेश हेतु योग्यता -
इस पाठ्यक्रम में प्रवेश हेतु न्यूनतम 12 वीं या समकक्ष उत्तीर्ण होना चाहिए। रसायन व बायोलाजी विषय सहित न्यूनतम 50 प्रतिशत अंक प्राप्त करना आवश्यक है। अनुसूचित जाति, जनजाति, विकलांग एवंपिछड़ा वर्ग के विद्यार्थियों को अंक में 5 प्रतिशत छूट प्रदान की जाती है।