स्पेशल इफेक्ट तकनीक: एक रोमांचक कैरियर ! Special Effects Technology: An Exciting Career.

स्पेशल इफेक्ट तकनीक में प्रशिक्षण एक शानदार भविष्य की नींव रख सकता है। स्क्रीन पर असंभव को संभव करके दिखाती इस कला में प्रशिक्षित लोगों के लिए काम की कमी नहीं है।

आजकल फिल्म "कोई मिल गया" का जादू धूम मचाए हुए है। इसी बीच हॉलीवुड की " टर्मिनेटर द राइज ऑफ मशीन्स" ने भी रूपहले पर्दे पर धमाका कर रखा है। लोग हैरान हैं कि कैसे फिल्म में मिनटों में मशीन किसी सजीव मानव में बदल जाती है और कैमरे के माध्यम से हम उसे परिवर्तित होते देख भी सकते हैं। परदे पर यह कमाल है स्पेशल इफेक्ट का। 

अब स्पेशल इफेक्ट के रूप में ऐसी तकनीक लोगों के हाथ लग गयी है जिसमें असंभव लगने वाला कुछ भी परदे पर फिल्माया जा सकता है। 

क्या है स्पेशल इफेक्ट ? ( What is special effect?  )

स्पेशल इफेक्ट के नाम से उपयोग की जाने वाली इस तकनीक को कला भी कहा जा सकता है और विज्ञान भी। इसके विज्ञान पक्ष के अंतर्गत स्पेशल इफेक्ट में इस बात पर ध्यान दिया जाता है कि चारों तरफ के संसार को हमारे शरीर की इंद्रियां कैसे महसूस करती हैं और समझती हैं। 

इसके बाद कोशिश यह की जाती है कि इंद्रियों के माध्यम से अपने संसार को समझने की इस वैज्ञानिक जानकारी को किस तरह से कृत्रिम तौर पर उपयोग किया जाए कि इंद्रियों को लगे जैसे सत्य ही दिख रहा है यानी आंखों को परदे पर घटित होने वाली घटनाएं वास्तविक घटनाओं जैसा अहसास दें। 

उदाहरण के लिए किसी अंतरिक्ष में स्थापित प्रयोगशाला, उसके प्रमुख द्वार से निकलते हुए यान, बाहर अंतरिक्ष का वातावरण, ज्वालामुखी का लावा या डायनासोर का शहर में आ जाना यह सब असली में देखने पर जैसा लगेगा वैसा ही स्पेशल इफेक्ट के माध्यम से परदे पर महसूस होता है। 

स्पेशल इफेक्ट के माध्यम से यह इतना सजीव हो उठता है कि असंभव परिस्थितियों, घटनाओं और जीव जंतुओं को साक्षात् देख पाने और महसूस कर पाने की छिपी हुई इच्छा पूरी होती है। इसलिए मनोरंजन संसार में तो स्पेशल इफेक्ट का बहुत उपयोग हो रहा है।

सच तो यह है कि हम एक ऐसे युग में है जहां तकनीक के माध्यम से जादू उत्पन्न किया जा रहा है। बस आवश्यकता है, तो केवल कल्पनाशक्ति और थोड़ी वैज्ञानिक जानकारी की।

भारतीय फिल्म उद्योग स्पेशल इफेक्ट के क्षेत्र में काफी आगे पहुंच चुका है। भारतीय फिल्मों में उपयोग की जाने वाली एनिमेशन तकनीकें अब काफी बेहतर हो गयी हैं। दरअसल कैमरे के अविष्कार से पहले ही स्पेशल इफेक्ट का उपयोग शुरू हो चुका था। 

सत्रहवीं सदी में जादूगर अपनी स्पेशल इफेक्ट तकनीकों के माद्यम से जादू दिखाने लगे थे। लोगों के मनोरंजन में स्पेशल इफेक्ट के उपयोग के चलन की नींव इसी तरह रखी गयी। 

गतिमान फिल्मों में ध्वनि और रंग के उपयोग के साथ ही हल्की-फुल्की तकनीक उपयोग में लाई जाती रही। लेकिन इस दिशा में सबसे निर्णायक प्रगति हुई।

ग्राफिक्स का प्रयोग ( Use of Graphics )

'जब बीसवीं शताब्दी में कम्प्यूटर ग्राफिक टेक्नोलॉजी विकसित की गयी। आज सीजीआई या कम्प्यूटर ग्राफिक का इस्तेमाल करके बड़ी इमारत, जानवर, राक्षस व अंतरिक्ष के प्राणियों आदि का चित्रण कर सकते हैं। 

आज के समय में विजुअल इफेक्ट के तहत डिजिटल व कन्वेंशन इफेक्ट का प्रयोग हो रहा है। डिजिटल इफेक्ट में आमतौर पर कम्प्यूटर पर मैट्स जैसी तकनीकों का इस्तेमाल करके वातावरण बनाया जाता है, या फिर दूसरी तकनीक होती है सुपर इंपोजिंग ।

कन्वेशनल इफेक्ट या परंपरागत प्रभाव बिना किसी सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किए ही उत्पन्न किए जाते है। जैसे कि कोई राक्षस या परी आदि का फिल्मांकन पिछले दस वर्षों में भी एनिमेशन व स्पेशल इफेक्ट फिल्मों, विज्ञापन वीडियो आदि में सबसे ज्यादा उपयोग हो रहा है। 

इस क्षेत्र की उपयोगिता इस बात से ही पता चलती है कि कुछ विशेषज्ञों के अनुसार आने वाले दिनों में फिल्मों से सजीव कलाकारों की आवश्यकता ही खत्म हो सकती है। हाल ही में विदेश में चल रहे एक विज्ञापन में एक फिल्मी कलाकार को वैक्यूम क्लीनर के ..साथ डांस करते दिखाया गया है। जबकि इस कलाकार की मृत्यु वर्षों पहले हो चुकी है। 

प्रशिक्षण ( Training )

स्पेशल इफेक्ट तकनीक आमतौर पर सभी प्रमुख कंप्यूटर संस्थानों में सिखाई जाती है। इसके साथ ही ग्राफिक, स्पेशल इफेक्ट. क्लासिकल एनिमेशन, कैरेक्टर डिजाइनिंग, क्ले माडलिंग, टु डी व थ्री डी एनिमेशन, मार्किंग ऐंड वार्निंग, वाकधू , वर्चुअल रियलिटी, वेब व कन्वरजेंस आदि भी सिखाए जाते हैं। 

छात्रों को ऑर्गेनिक श्री डी मॉडल बनाने भी सिखाए जाते हैं। इस क्षेत्र में स्पेशल इफेक्ट आर्टिस्ट, विजुअल इफेक्ट्स सुपरवाइजर, गेम डिजाइन एनिमेशन अस्स्टेिंट, शेडर, मोशन कैप्चर एनिमेटर माडल व बेंच एनिमेटर आदि बना जा सकता है। 

अवसर ( Opportunity )

स्पेशल इफेक्ट से संबंधित किसी भी कार्य में इन प्रशिक्षित लोगों की आवश्यकता पड़ती है। यह सभी एनीमेशन व मल्टीमीडिया, स्पेशल इफेक्ट, वीडियो गेम्स, कंप्यूटर आधारित ट्यूटोरियल्स, वेब आधारित ट्यूटोरियल्स आदि के क्षेत्र मंसक्रिय कंपनियों में नियुक्ति प्राप्त कर सकते हैं। 

इस क्षेत्र में अवसर प्राप्त करने के लिए जरूरी है कि आप सभी तकनीकों में विशेषज्ञता प्राप्त हो। स्पेशल इफेक्ट में ज्यादातर काम हैदराबाद व चेन्नई में हो रहा है। ऑटो डेस्क नामक आईटी फर्म सीएनबीसी, पेंटामीडिया ग्राफिक, बालाजी, टेलीफिल्मस, एनडीटीवी व रामोजी के लिए भी एनिमेशन में काम कर रही है। 

आय ( Income )

इस क्षेत्र में कार्य करने वालों को शुरूवात से ही 30 से 40 हजार की मासिक आमदनी होती है। अनुभव प्राप्त करने के बाद तरक्की की कोई सीमा नहीं होती। इसके अलावा देश-विदेश में सम्मान और प्रतिष्ठा भी प्राप्त होती है।


धर्म में एक महान दूधिया गाय के समान बहुत लाते मारी है, परन्तु इससे निराशा मत हो, क्योंकि यह अत्याधिक दूध देती है। 

किस के कुल में दोष नहीं, कौन ऐसा है, जिसमें रोग नहीं आपत्तियाँ किस पर नहीं आती, कौन ऐसा है, जो सदा सुखी रहा है।

सुनने वाला सुभाषित को जब समझने पर ध्यान नहीं देता, तब बोलने वो से स्वाभाविक उत्साह की आशा नहीं करनी चाहिए। 

अपनी बुद्धि को ख्यालों के मैदान में ला,ताकि सुभाषित कहने वाला अपने व्याख्यान को गेंद की तरह दौड़ाता रहे

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