दवा प्रबंधन में बढ़ती संभावनाएं ! Growing possibilities in drug management.

आमतौर पर यह समझा जाता है कि मेडिसिन की दुनिया डॉक्टरों, मरीजों के इलाज और दवाएं देने तक ही सीमित हैं, लेकिन नहीं । मेडिसिन यानी फार्मास्युटिकल का क्षेत्र आज दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ते उद्योग में से एक है। 

यही कारण है कि आज इसमें दवाओं के वितरण, मार्केटिंग, पब्लिक रिलेशंस, फार्मा मैनेजमेंट आदि में कुशल लोगों की मांग में काफी तेजी आ गई है, जिसे पूरा करने में दवा उद्योग स्वयंको असमर्थ पा रही है। 

भारत जैसी विशाल आबादी और बेरोजगारी वाले देश में आईटी और टेलीकम्युनिकेशन के साथ-साथ यह क्षेत्र भी नौकरी की दृष्टि से काफी संभावनाओं से भरा हुआ है।

अवसर तथा योग्यता ( Opportunities and Qualifications )

यदि आपने बीएससी, बी फार्मा वा डी फार्मा करके फार्मास्युटिकल मैनेजमेंट में डिप्लोमा कर लिया, तो फिर दवा उद्योग आज दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ते उद्योगों में से एक है। 

इसमें कुशल लोगों की जबरदस्त मांग है। यदि आप भी इस क्षेत्र से मार्केटिंग, प्रोडक्शन, रिसर्च या फिर मैनेजमेंट एक्जीक्यूटिव के रूप में जुड़कर मानव सेवा के साथ-साथ भरपूर पैसा भी कमाना चाहते हैं, तो इसके लिए द्वार खुला है।

आप बीएससी, बी फार्मा या डी फार्मा के बाद फार्मा मैनेजमेंट का कोर्स कर अपना सपना साकार कर सकते हैं। राष्ट्रीय / बहुराष्ट्रीय कंपनियों में विभिन्न पदों पर नौकरियां बाहे पसारे खड़ी हैं। 

खास बात तो यह है कि इस क्षेत्र में आकर्षक वेतन भी मिल रहा है और तरक्की की भरपूर संभावनाएं भी हैं।

दवा उद्योग का विस्तार ( expansion of pharmaceutical industry )

आज विश्व की चौथा सबसे बड़ा उद्योग है, जिसमें पिछले कुछ वर्षों से हर साल 8 से 10 प्रतिशत की गति से इजाफा हो रहा है। दवा उद्योग के विशेषज्ञों का मानना है कि इस समय भारत का दवा उद्योग 42 हजार करोड़ रूपये से अधिक का है, जिसमें निर्यात भी शामिल है। 

भारत में दवाइयों का विशाल बाजार देखते हुए विदेशी कंपनियां इसमें काफी रूचि दिखा रही है। दिलचस्प बात यह है कि इस समय बाजार के 75 प्रतिशत हिस्से पर भारतीय कंपनियों का कब्जा है, जबकि शेष मात्र 25 प्रतिशत ही विदेशी कंपनियों के हाथ में है।


वर्ष 2005 में देश की दवा उद्योग का कुल प्रोडक्शन करीब 8 बिलियन डॉलर का था, जिसके 2010 तक 25 बिलियन डॉलर हो जाने की उम्मीद है। 

भारत में इस समय 23 हजार से भी अधिक दवा कंपनियां हैं, हालांकि इनमें से करीब 300 ही व्यवस्थित है। 

एक अनुमान के अनुसार इस उद्योग में तकरीबन डेढ़ लाख लोगों को काम मिला हुआ है। दवा उद्योग की वर्तमान प्रगति को देखते हुए अगले कुछ वर्षों में इस उद्योग को दो से तीन गुना कुशल लोगों की जरूरत होगी। 

भारत में रिसर्च एंड डेवलपमेंट प्रोफेशनल्स की अपार संभावना को देखते हुए विदेशी कंपनिया "यहाँ शोध व विकास गतिविधियों के लिए भारी निवेश कर रही हैं। 

भारी मात्रा में निवेश को देखते हुए स्वाभाविक रूप से दवा अनुसंधान के लिए प्रति वर्ष एक हजार और वैज्ञानिकों की जरूरत होगी। 

इस स्थिति को देखते हुए सरकारी और गैर-सरकारी स्तर पर विभिन्न संस्थानों द्वारा अनेक उपयोगी पाठ्यक्रम चलाए जा रहे हैं।

बहुराष्ट्रीय कंपनियां ( Multinational Corporations )

कई विदेशी कंपनियों के इस क्षेत्र में प्रवेश करने के बाद दक्ष लोगों की मांग में काफी तेजी आई है। पहले दवाओं व चिकित्सा उपकरणों के विपणन के लिए अकुशल लोग भी रख लिए जाते थे। 

लेकिन अब ऐसा नहीं हैं। कंपनियां मार्केटिंग से लेकर तकनीकी काम तक के लिए शिक्षित व कुशल लोगों को ही प्राथमिकता दे रही हैं, चाहे वह मेडिकल रिप्रेजेटेटिव हो, मार्केटिंग एक्जीक्यूटिव हो या फिर कोई और पद । 

प्रशिक्षण और योग्यता ( Training and Qualification )

भारत में पहले दवा उद्योग की पढ़ाई गिने-चुने संस्थानों में ही होती थी, लेकिन तेजी से बढ़ते बाजार और कुशल लोगों की मांग को पूरा करने के लिए अब कई संस्थानों में ऐसे पाठ्यक्रमों की शुरुआत हो गई है। 

आज देश में 100 से अधिक संस्थानों में फार्मेसी में डिग्री कोर्स और 200 से अधिक संस्थानों में डिप्लोमा कोर्स चलाए जा रहे हैं। बारहवीं के बाद सीधे डिप्लोमा किया जा सकता है। दवा अनुसंधान में स्पेशलाइजेशन के लिए नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मा एजुकेशन एंड रिसर्च जैसे संस्थानों में प्रवेश ले सकते हैं। 

दिल्ली स्थित एपिक इंस्टीट्यूट द्वारा फार्मास्युटिकल मैनेजमेंट में एक वर्षीय डिप्लोमा कोर्स चलाया जा रहा है। इसमें बीएससी (केमिस्ट्री या बायोलॉजी के साथ), बी. फार्मा या डी. फार्मा कर चुके अभ्यर्थी प्रवेश के पात्र हैं। 

इस पाठ्यक्रम के दो सत्रों में से पहले में फार्मास्युटिकल एवंमैनेजमेंट के विभिन्न पहलुओं का ज्ञान कराया जाता है। जबकि दूसरे सत्र में स्पेशलनाइजेशन के तीन विषयों फार्मास्युटिकल सेल्स एंड मार्केटिंग मैनेजमेंट, फार्मास्युटिकल प्रोडक्ट मैनेजमेंट तथा फार्मास्युटिकल प्रोडक्शन मैनेजमेंट में से किन्हीं दो विषयों का चयन करना होता है। इस कोर्स के तहत स्टूडेंट को मल्टीस्किलिंग ट्रेनिंग दी जाती है।

प्रमुख संस्थान  ( Premier Institute )

- कॉलेज ऑफ फार्मास्युटिकल साइंसेज, 

माहे, मनिपाल, वेबसाइट www.manipal.edu

- एपिक इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थकेयर स्टडीज,

डी-62, साउथ एक्सटेंशन, पार्ट-1, नई दिल्ली - 49, वेबसाइट- www.apic2orld.com

- नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मास्युटिकल एजुकेशन एंड रिसर्च,

सेक्टर - 67, SAS नगर, मोहाली-160062

- जवाहरलाल नेहरू सेंटर फॉर एडवांस्ड साइंटिफिक रिसर्च,

बंगलौर - 560064 वेबसाइट www.jncasr.ac.in

वेतन ( salary )

प्रशिक्षित लोगों की मांग देखते हुए इस क्षेत्र में वेतन भी काफी तेजी से बढ़ रहा है। शोध और प्रारंभिक स्तर पर वेतन डेढ़ लाख रूपये वार्षिक मिलती है, जो 20 लाख प्रति वर्ष तक पहुंच सकती है।

औषधि उत्पाद के क्षेत्र में भी यही स्थिति है। मार्केटिंग क्षेत्र में एक नए उम्मीदवार को तीन साढ़े तीन लाख वार्षिक आय मिल जाती है। 

संभावनाएं ( The Possibilities )

यह क्षेत्र आज सर्वाधिक संभावनाओं से भरा है। इसमें दक्ष युवा देशी-विदेशी कंपनियों में कई तरह के आकर्षक काम आसानी से पा सकते हैं, जैसे- बिजनेस एक्जीक्यूटिव व ऑफिसर, प्रोडक्शन एक्जीक्यूटिव, मेडिकल रिप्रेजेन्टेटिव आदि।


काम, क्रोध और लोभ, ये तीन दोष नरक के द्वार हैं तथा मनुष्य का नाश करने वाले हैं। अत- इन तीनों का अवश्य ही त्याग करना चाहिए।

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